Tuesday, August 23, 2011

शमशान घाट में संवर रहा बचपन

सरकार एवं शिक्षा विभाग के शैक्षणिक विकास के दावे के बावजूद बड़हिया नगर पंचायत के दर्जन भर डोम समुदाय के बच्चे शमशान घाट के किनारे मुर्दे की लकड़ियां व कपड़े चुनने को विवश हैं। इस ओर न तो स्थानीय प्रशासन का ध्यान जा रहा है और न ही जनप्रतिनिधि इस ओर सतर्क हैं। जानकारी के मुताबिक बड़हिया नगर क्षेत्र के वार्ड 14 में अवस्थित डोम समुदाय के करीब दो दर्जन बच्चे शिक्षा की किरण से वंचित हैं। उपेक्षावश इन्हें न तो स्थानीय स्कूलों में दाखिला मिल पाता है और न ही आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ही इनके बच्चों की उपस्थिति हो पाती है। सुबह से शाम तक डोम समुदाय के नौनिहाल स्कूल के बजाय गंगातट के निकट शमशान घाट पर स्लेट-पेंसिल की जगह कफन का कपड़ा व चिता की लकड़ी से अपना भविष्य बना रहे हैं। इस शमशान घाट पर कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधि भी आते हैं परंतु उक्त महादलितों की दशा से उन्हें कोई मतलब नहीं है। इस संबंध में स्थानीय बुद्धिजीवियों ने बताया कि जागरूकता के अभाव में कई महादलित बच्चे अभी तक स्कूल का मुंह नहीं देख सके हैं। तथा सरकारी पदाधिकारी कागजों पर ही गरीबी उन्मूलन एवं सर्वशिक्षा अभियान की सफलता के दावे कर अपनी पीठ थपथपा रहे है। इस संबंध में अनुमंडलाधिकारी विनय कुमार राय ने कहा कि बच्चों का स्कूल नहीं जाना चिंता का विषय है। संबंधित पोषक क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र व स्कूल प्रबंधन को इस हेतु जागरूकता फैलाकर ऐसे बच्चों के बीच शिक्षा की ज्योति जगाना चाहिए।
Danik Jagran