Saturday, January 22, 2022

Bihar Tourism : Tagline Contest


Contest Details

Introduction

Bihar Tourism intends to organize an online “Tagline Contest” and invites people across India to write a creative tagline that best represents Bihar.

Eligibility Criteria

The participant must be above 10 years and a citizen of India.

Entries are open only for individuals and not groups/organizations.

Timeline

Call for entries: 20th January 2022

Deadline for submission: 31st January 2022

Final result declaration: Result announcement date to be announced later.   

Terms of References

The tagline should be in English or Hindi.

The tagline should be crisp and short. (Not more than 5 words)

The tagline should be easily understandable and contemporary.

The tagline should resonate with the value of visiting Bihar and bring out the essence of Bihar Tourism.

The tagline should not have been previously published in any print and digital media and must not contain any provocative, objectionable or inappropriate content.

Terms and Conditions

The submission of entry is free.

The winning tagline will be the intellectual property of the Department of Tourism, Government of Bihar. The winner cannot exercise any right over it, after the acceptance of the prize. The Government of Bihar reserves the right to use the prize-winning tagline for promotional, advertising and display purposes and to assign it to any person or group of persons. The tagline can be adapted suitably as per the requirement.

The tagline should not have been previously published in any print and digital media and must not contain any provocative, objectionable or inappropriate content.

Multiple submissions of tagline by the same participant would not be accepted.

The tagline design must be original and should not violate any provision of the Indian Copyright Act, 1957 or any Indian law. Plagiarism/Copying of any nature would not be allowed.

Anyone found infringing on others’ copyright would be disqualified from the competition. The Government of Bihar does not bear any responsibility for copyright violations or infringements of intellectual property carried out by the participants.

The Government of Bihar does not bear any responsibility for copyright violations or infringements of intellectual property carried out by the participants.

The employees and wards of the Department of Tourism, Government of Bihar and Employment or its attached offices, or autonomous organizations/institutions working overall administrative controls

Department of Tourism not allowed to take part in this Contest.

A participant is required to ensure that his/her form is filled with accurate details since the Department of Tourism, Government of Bihar would be using this for further communication. This includes details such as name, photo and phone number. Entries with incomplete details will not be considered.

Department of Tourism, Government of Bihar reserves the right to cancel or amend all or any part of this Contest and/ or Terms and Conditions/Terms of Reference/ Evaluation Criteria. However, any changes to the Terms and Conditions/ Technical Parameters/ Evaluation Criteria, or the cancellation of the Contest, will be communicated.

There will be no notification to participants of rejected entries.

The selection committee reserves the right to close the contest without declaring the result if no suitable entry is received.

Rewards and Recognition

Best Entry Category: 1st 2nd and 3rd winners will be rewarded with Prize Money and Certificates

Prize Money -

First prize: Rs 25,000

Second prize: Rs 15,000

Third prize: Rs 10,000

Other (Appreciation category): 10 winners in other categories will be rewarded with exciting prizes and e-certificates. 

For any queries email at bihartourism.onlinecompetition@gmail.com

Reference: https://tourism.bihar.gov.in/en/events/tagline-contest 

Tuesday, August 27, 2019

अपना वजूद खो रहा सौ साल पुराना दिघवा तालाब : लखीसराय

धीरे-धीरे अपना वजूद खो रहा सौ साल पुराना दिघवा तालाब 

चार बीघा में फैला इस तालाब का भी धीरे-धीरे हो गया अतिक्रमण सोया है नगर प्रशासन

संवाद सहयोगी, लखीसराय : लखीसराय शहर में जल भंडार का व्यापक संसाधन उपलब्ध रहने के बाद भी जल संकट का सामना लोगों को करना पड़ रहा है। शहर में अधिकांश पुराने तालाब मृतपाय होते जा रहे हैं। जलसंचय के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं पारंपरिक जलस्नोतों को पुनर्जीवित करने के लिए सोए हुए सरकारी सिस्टम को जगाने को लेकर दैनिक जागरण का तलाश तालाबों की अभियान लगातार चलाया जा रहा है।
अभियान के तहत शहर के वार्ड नंबर 29 स्थित दिघवा तालाब की जब पड़ताल की तो पाया कि 100 वर्ष से भी अधिक पुराने इस तालाब को कोई देखने वाला नहीं है। उपेक्षा और अतिक्रमण की जाल में यह तालाब भी अपना वजूद खोता जा रहा है। स्थानीय लोग बताते हैं कि कभी यह तालाब काफी उपयोगी हुआ करता था। सालों भर तालाब में पानी भरा रहता था। लेकिन धीरे-धीरे इस पुराने तालाब का स्वरूप बदलता चला गया। तालाब की जमीन पर दर्जनों की संख्या में लोग घर बनाकर बस गए हैं। लेकिन नगर परिषद को इससे कोई मतलब नहीं रह गया है। यही कारण है शहरी क्षेत्र में प्राचीन जितने भी तालाब, पोखर थेसभी पर अतिक्रमण है। नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी डॉ. विपिन कुमार ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत दिघवा तालाब का भी चयन किया गया है। इसके जीर्णोद्धार एवं अतिक्रमण मुक्त करने की भी कार्रवाई की जाएगी।
चार बीघा का तालाब जीर्णोद्धार की राह देख रहा: चार बीघा में दिघवा तालाब फैला हुआ है। इसका क्षेत्रफल 109649.61 वर्ग फीट है। करीब सात फीट गहरा यह तालाब पूरी तरह उपेक्षित है।। वर्तमान में बारिश होने से तालाब में थोड़ा पानी जमा हुआ है। हाल यह है कि मोहल्ले का कूड़ा इसी तालाब के किनारे डंप किया जाता है। तालाब की साफ-सफाई कभी नहीं होने के कारण चारों तरफ गंदगी पसरी हुई है। इसे देखने वाला कोई नहीं है। इसका जीर्णोद्धार कर जलसंचय का एक बड़ा साधन बन सकता है। यहां मछली पालन की भी संभावना बन सकती है।
Source:दैनिक जागरण  Date : 27th August 2019 Page 4
#Lakhisarai #Bihar #NEWS

Monday, August 19, 2019

लखीसराय : मंडरा रही सुखाड़ की काली साया, सावन में भी सूखे हैं खेत


सरकारी अनुदान व वैकल्पिक फसल योजना ही किसानों का बना है सहारा, हताश हैं किसान संवाद सहयोगी, लखीसराय : लखीसराय जिला प्राकृतिक आपदा से हमेशा लड़ता रहा है। वर्तमान में जिले में सुखाड़ की काली साया मंडरा रही है। विगत तीन महीने से मौसम की दगाबाजी एवं बारिश नहीं होने के कारण खरीफ फसल पर संकट गहराता जा रहा है। कृषि विभाग की मानें तो अगले कुछ दिनों तक अगर बारिश नहीं हुई तो जिले की स्थिति और भयावह हो सकती है। विभागीय पदाधिकारियों के अनुसार 20 अगस्त तक बारिश नहीं होने की स्थिति में सरकार जिले को सुखाड़ क्षेत्र घोषित कर सकती है। फिलहाल आधा सावन बीत जाने के बाद भी खेत सूखा है। इस कारण धान का बिचड़ा और रोपनी की गई फसल बर्बाद होने के कगार पर है। जिले में कतिपय साधन संपन्न किसानों को छोड़कर अधिकांश किसान मौसम की मार एवं सूखे खेत देखकर सुखाड़ की आशंका से सहमे हुए हैं। हाल यह है कि सरकारी अनुदान एवं वैकल्पिक फसल योजना ही एकमात्र सहारा बना है। जिले के चानन, हलसी, रामगढ़ चौक, लखीसराय प्रखंड सबसे ज्यादा प्रभावित है। वर्तमान में सरकार ने चानन व हलसी प्रखंड को पूर्व से ही सुखाड़ क्षेत्र घोषित किए हुए है। वर्तमान में चानन प्रखंड में 49 फीसद एवं सूर्यगढ़ा में 18 फीसद कम बारिश हुई है। जिले में वर्षापात की स्थिति

जून - सामान्य वर्षापात 175.55 एमएम के विरुद्ध मात्र 25.4 एमएम बारिश हुई। कुल 85.6 फीसद कम बारिश हुई।
जुलाई - सामान्य वर्षापात 282.3 एमएम के विरुद्ध 264.64 एमएम बारिश हुई। पूरे माह में 6 फीसद कम बारिश हुई।
अगस्त - सामान्य वर्षापात 308.1 एमएम के विरुद्ध बीते छह दिनों में शून्य फीसद बारिश हुई है। बारिश नहीं होने से खरीफ फसल प्रभावित

जिले में बारिश नहीं होने के कारण खरीफ फसल खासकर धान की खेती पूरी तरह प्रभावित हुई है। सरकारी आंकड़े के अनुसार जिले में 3,400 हेक्टेयर में धान का बिचड़ा रोपनी के निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध 3255 हेक्टेयर में बिचड़ा रोपनी का दावा कृषि विभाग कर रहा है। धान की रोपनी के कुल लक्ष्य 34,000 हेक्टेयर के विरुद्ध 8,450 हेक्टेयर में रोपनी का दावा किया गया है। हालांकि कृषि विभाग की इस रिपोर्ट पर जिले के प्रभारी मंत्री नीरज कुमार ने भी सुखाड़ की समीक्षा के दौरान नाराजगी जताते हुए पदाधिकारी को सही रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया था। डीजल अनुदान व वैकल्पिक फसल पर विशेष जोर

जिले में सुखाड़ की बन रही स्थिति को देखते हुए जिले के प्रभारी मंत्री नीरज कुमार ने कृषि विभाग के पदाधिकारियों को रबी डीजल अनुदान एवं वैकल्पिक फसल योजना का लाभ किसानों तक पहुंचाने का आदेश दिया है। जिले में डीजल अनुदान के लिए अबतक 18,413 किसानों ने आवेदन दिया है। इसमें 8,134 किसानों के खाते में एक करोड़ पांच लाख 52 हजार रुपये की राशि भेजी गई है। सुखाड़ घोषित हलसी प्रखंड के 10,259 एवं चानन प्रखंड के 3,579 किसानों को कृषि इनपुट का लाभ देने के लिए आवेदनों को बैंक भेजा गया है।

जिले में बारिश नहीं होने के कारण खरीफ मौसम की फसलों की खेती काफी प्रभावित हो रही है। खासकर धान की खेती पर संकट गहराने लगा है। सुखाड़ से निबटने के लिए तैयारी की गई है। कृषि विभाग के पदाधिकारी को कृषि इनपुट, रबी डीजल अनुदान एवं वैकल्पिक फसल योजना में तेजी लाने का आदेश दिया गया है। लगातार इसकी समीक्षा भी की जा रही है। 20 अगस्त तक बारिश नहीं हुई तो सरकार को रिपोर्ट भी भेजी जाएगी।
- विनय कुमार मंडल, डीडीसी, लखीसराय
News Source :Jagran
#Bihar #Jagran #News #Lakhisarai #ApurvGourav

Tuesday, April 23, 2019

बाबू कुंवर सिंह (जन्म- 1778 ई., बिहार; मृत्यु- 23 अप्रैल, 1858 ई)

बाबू कुंवर सिंह (जन्म- 1778 ., बिहार; मृत्यु- 23 अप्रैल, 1858 .) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सैनिकों में से एक थे। इनके चरित्र की सबसे बड़ी ख़ासियत यही थी कि इन्हें वीरता से परिपूर्ण कार्यों को करना ही रास आता था। इतिहास प्रसिद्ध 1857 की क्रांति में भी इन्होंने सम्मिलित होकर अपनी शौर्यता का प्रदर्शन किया। बाबू कुंवर सिंह ने रीवा के ज़मींदारों को एकत्र किया और उन्हें अंग्रेज़ों से युद्ध के लिए तैयार किया। तात्या टोपे से भी इनका सम्पर्क था।
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध नायक बाबू कुंवर सिंह के आरम्भिक जीवन के सम्बन्ध में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। सम्भवत: उनका जन्म 1778 . में बिहार में भोजपुर जिले के जगदीशपुर गांव में हुआ था। उन्हें बचपन से ही शिक्षा से अधिक शौर्य-युक्त कार्यों में रुचि थी। बिहार के शाहाबाद में उनकी एक छोटी रियासत थी। उन पर जब कर्ज़ बढ़ गया तो अंग्रेज़ों ने रियासत का प्रबन्ध अपने हाथों में ले लिया। उनका एजेंट लगान वसूल करता, सरकारी रकम चुकाता और रकम से किस्तों में रियासत का कर्ज़ उतारा जाता।
अंग्रेज़ों की चालाकी
इस अवस्था से बाबू कुंवर सिंह असंतुष्ट थे। इसी समय '1857 की क्रान्ति' आरम्भ हो गई और कुंवर सिंह को अपना विरोध प्रकट करने का अवसर मिल गया। 25 जुलाई, 1857 को जब क्रान्तिकारी दीनापुर से आरा की ओर बढ़े तो बाबू कुंवर सिंह उनमें सम्मिलित हो गए। उनके विचारों का अनुमान अंग्रेज़ों को पहले ही हो गया था। इसीलिए कमिश्नर ने उन्हें पटना बुलाया था कि उन्हें गिरफ़्तार कर लिया जाये। पर अंग्रेज़ों की चालाकी समझकर कुंवर सिंह बीमारी का बहाना बनाकर वहाँ नहीं गए।
शौर्य प्रदर्शन
आरा में आन्दोलन की कमान कुंवर सिंह ने संभाल ली और जगदीशपुर में विदेशी सेना से मोर्चा लेकर सहसराम और रोहतास में विद्रोह की अग्नि प्रज्ज्वलित की। उसके बाद वे 500 सैनिकों के साथ रीवा पहुँचे और वहाँ के ज़मींदारों को अंग्रेज़ों से युद्ध के लिए तैयार किया। वहाँ से बांदा होते हुए कालपी और फिर कानपुर पहुँचे। तब तक तात्या टोपे से उनका सम्पर्क हो चुका था। कानपुर की अंग्रेज़ सेना पर आक्रमण करने के बाद वे आजमगढ़ गये और वहाँ के सरकारी ख़ज़ाने पर अधिकार कर छापामार शैली में युद्ध जारी रखा। यहाँ भी अंग्रेज़ी सेना को पीछे हटना पड़ा।
निधन
इस समय बाबू कुंवर सिंह की उम्र 80 वर्ष की हो चली थी। वे अब जगदीशपुर वापस आना चाहते थे। नदी पार करते समय अंग्रेज़ों की एक गोली उनकी ढाल को छेदकर बाएं हाथ की कलाई में लग गई थी। उन्होंने अपनी तलवार से कलाई काटकर नदी में प्रवाहित कर दी। वे अपनी सेना के साथ जंगलों की ओर चले गए और अंग्रेज़ी सेना को पराजित करके 23 अप्रैल, 1858 को जगदीशपुर पहुँचे। लोगों ने उनको सिंहासन पर बैठाया और राजा घोषित किया। परन्तु कटे हाथ में सेप्टिक हो जाने के कारण '1857 की क्रान्ति' के इस महान् नायक ने 26 अप्रैल, 1858 को अपने जीवन की इहलीला को विराम दे दिया।
Source :- बाबू कुंवर सिंह

Friday, March 22, 2019

Journey of GST (Goods and Service Tax) in India

GST also known as the Goods and Services Tax is defined as the giant indirect tax structure designed to support and enhance the economic growth of a country. More than 150 countries have implemented GST so far. However, the idea of GST in India was mooted by Vajpayee government in 2000 and the constitutional amendment for the same was passed by the Loksabha on 6th May 2015 but is yet to be ratified by the Rajyasabha. However, there is a huge hue and cry against its implementation. It would be interesting to understand why this proposed GST regime may hamper the growth and development of the country.

Benefits of GST as under:
• It would introduce two-tiered One-Country-One-Tax regime.
• It would subsume all indirect taxes at the center and the state level.
• It would not only widen the tax regime by covering goods and services but also make it transparent.
• It would free the manufacturing sector from cascading effect of taxes, thus by improve the cost-competitiveness of goods and services.
• It would bring down the prices of goods and services and thus by, increase consumption.
• It would create business-friendly environment, thus by increase tax-GDP ratio.
• It would enhance the ease of doing business in India.

India has adopted dual GST instead of national GST. It has made the entire structure of GST fairly complicated in India. The centre will have to coordinate with 29 states and 7 union territories to implement such tax regime. Such regime is likely to create economic as well as political issues.

There are 3 taxes applicable under this system: CGST, SGST & IGST.
    CGST: Collected by the Central Government on an intra-state sale (Eg: transaction happening within Maharashtra)
    SGST: Collected by the State Government on an intra-state sale (Eg: transaction happening within Maharashtra)
    IGST: Collected by the Central Government for inter-state sale (Eg: Maharashtra to Tamil Nadu)

Non-GST Goods such as:
(i)                  Petroleum crude
(ii)                High-speed diesel
(iii)               Motor spirit (commonly known as petrol);
(iv)              Natural gas;
(v)                Aviation turbine fuel; and
(vi)              Alcoholic liquor for human consumption. in respect of following transactions only:
Resale /  Use in manufacturing or processing /  Use in the telecommunication network or in mining or in the generation or distribution of electricity or any other power.

Milestone
2006
February 28, 2006- Budget 2006-07 - FM proposes introduction of GST from 1 April 2010
2007
March 20, 2007 -Phasing out of CST began from April 2007 with the reduction in CST rate from 4% to 3% May, 2007 - Committee of State Finance Ministers constituted Joint Working Group in May, 2007
2008
December 17, 2008- EC finalised its views on broad GST structure - consensus on Dual GST (Central and State GST)
2009
November 10, 2009- First Discussion Paper on GST was released by EC
December 31, 2009 -The 13th Finance Commission released its Report on GST in December, 2009
2011
March 23, 2011- Constitution Amendment Bill to enable roll out of GST was tabled in Parliament
2013
November 18, 2013- EC rejected Central Government's proposal to include Petroleum products under GST
2014
December 19, 2014- Revised Constitution Amendment Bill tabled in Parliament
2015
May 7, 2015- Passage of Constitutional Amendment Bill on GST in Lok Sabha
Oct 23, 2015 - The Joint Committee constituted by Empowered release its business process reports on GST related to payment, registration, refund in public domain for comments
2016
June 14, 2016- Model draft law released in public domain
August 3, 2016- Passage of Constitutional Amendment Bill on GST in Rajya Sabha.
September 22, 2016 First Meeting of GST Council held.
November 3, 2016-GST rates decided. The four slabs has been set at 5%, 12%, 18% and 28%.
November 8, 2016 -GST portal was made live for migration of existing tax payers.
November 26, 2016- Revised Draft Model GST Law ,Draft IGST Law and Compensation Law released.
2017
January 16, 2017- Consensus on dual control
February 18, 2017 - Council cleared the draft laws for compensating the states.
March 4, 2017 – The GST Council cleared the crucial CGST and IGST Bills
March 16, 2017 - The GST Council cleared the crucial SGST and UTGST Bills
March 20, 2017 – Union Cabinet approves draft GST Bills
March 29, 2017- Lok Sabha clears four GST related bills.
April 6, 2017- Rajya Sabha okays CGST, IGST, Compensation & UTGST Bills.
May 18, 2017- GST Council finalizes tax rates on goods and services
May 18, 2017 – GST Council clears all nine rules
June 3, 2017- GST Council clears rules, states agree to July 1 rollout
June 11, 2017- GST Council reduces rates of 66 items.
June 18, 2017 - Council Approves Anti- Profiteering mechanism.
July 1, 2017- With GST , India takes a leap towards ‘one nation one tax’

Sources:- Different Websites / Journals / News Paper
#ApurvGourav #GST #India